marq

Dr. Charles Simonyi is the Father of Modern Microsoft Excel                                           JavaScript was originally developed by Brendan Eich of Netscape under the name Mocha, later LiveScript, and finally renamed to JavaScript.                                           The word "Biology" is firstly used by Lamarck and Treviranus                                           Hippocrates (460-370 bc) is known as father of medicine.                                           Galene, 130-200 is known as father of Experimental Physology                                           Aristotle (384-322 BC) is known as Father of Zoology because he wrote the construction and behavior of different animals in his book "Historia animalium"                                           Theophrastus(370-285 BC) is known as father of Botany because he wrote about 500 different plants in his book "Historia Plantarum".                                           John Resig is known as Father of Jquery -                                          HTML is a markup language which is use to design web pages. It was invented in 1990 by Tim Berners-Lee.                                                                The Google was founded by Larry Page and Sergey Brin.                                                                Rasmus Lerdorf was the original creator of PHP. It was first released in 1995.                                                               Facebook was founded by Mark Zuckerberg                                                               Bjarne Stroustrup, creator of C++.                                                                Dennis Ritchie creator of C                                                                                                                              James Gosling, also known as the "Father of Java"                                          At 11.44%, Bihar is India's fastest growing state                                          Father of HTML -Tim Berners Lee                                          orkut was created by Orkut Büyükkökten, a Turkish software engineer                    Photoshop: It came about after Thomas Knoll, a PhD student at the University of Michigan created a program to display grayscale images on a monochrome monitor which at the time was called 'Display'.

Delhi

दिल्ली
 महानगर



ऊपर बहाई मंदिर, बांए इन्डिया गेट, दाएं हुमायुं का मकबरा और बीच में राष्ट्रपति भवन






भारत


केन्द्र शासित प्रदेश

दिल्ली


जिला


दिल्ली के जिले[दिखाएँ]


मुख्यमंत्री                शीला दीक्षित


उप राज्यपाल            तेजेंदर खन्ना


महापौर                   आरती मेहरा


जनसंख्या              • घनत्व

महानगर               . (दूसरा)

• 11,463 /कि.मी.२ (29,689 /वर्ग मी.)

आधिकारिक भाषा(एं)

हिन्दी, पंजाबी, उर्दू


क्षेत्रफल

ऊंचाई (AMSL)                1,484 कि.मी² (573 वर्ग मील)

• 239 मीटर (784 फी.ft)[2]





निर्देशांक: 28.61, 77.23दिल्ली (पंजाबी: ਦਿੱਲੀ, उर्दू: دلی, IPA: [d̪ɪlːiː]) , आस-पास के कुछ जिलों के साथ भारत का राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र है। इसमें नई दिल्ली सम्मिलित है जो ऐतिहासिक पुरानी दिल्ली के बाद बसा था। यहाँ केन्द्र सरकार की कई प्रशासन संस्थाएँ हैं। औपचारिक रूप से नई दिल्ली भारत की राजधानी है।[तथ्य वांछित] १४८३ वर्ग किलोमीटर में फैला दिल्ली भारत का तीसरा सबसे बड़ा महानगर है। यहाँ की जनसंख्या लगभग १ करोड ७० लाख है। यहाँ बोली जाने वाली मुख्य भाषायें है: हिन्दी, पंजाबी, उर्दू, और अंग्रेज़ी। दिल्ली का ऐतिहासिक महत्त्व उत्तर भारत में इसके स्थान पर है। इसके दक्षिण पश्चिम में अरावली पहाड़ियां और पूर्व में यमुना नदी है, जिसके किनारे यह बसा है। यह प्राचीन समय में गंगा के मैदान से होकर जानेवाले वाणिज्य पथों के रास्ते में पड़ने वाला मुख्य पड़ाव था।[3]




यमुना नदी के किनारे स्थित इस नगर का गौरवशाली पौराणिक इतिहास है। यह भारत का अतिप्राचीन नगर है। इसके इतिहास का प्रारम्भ् सिन्धु घाटी सभ्यता से जुड़ा हुआ है। हरियाणा के आसपास के क्षेत्रों में हुई खुदाई से इस बात के प्रमाण मिले हैं। महाभारत काल में इसका नाम इन्द्रप्रस्थ था।दिल्ली सल्तनत के उत्थान के साथ ही दिल्ली एक प्रमुख राजनैतिक, सास्कृतिक एवं वाणिज्यिक शहर के रूप में उभरी।[4] यहाँ कई प्राचीन एवं मध्यकालीन इमारतों तथा उनके अवशेषों को देखा जा सकता हैं। १६३९ में मुगल बादशाहशाहजहाँ नें दिल्ली में ही एक चहारदीवारी से घिरे शहर का निर्माण करवाया जो१६७९ से १८५७ तक मुगल साम्राज्य की राजधानी रही।




१८वीं एवं १९वीं शताब्दी में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने लगभग पूरे भारत को अपने कब्जे में ले लिया। इन लोगों नेकोलकाता को अपनी राजधानी बनाया। १९११ में अंग्रेजी सरकार ने फैसला किया कि राजधानी को वापस दिल्ली लाया जाए। इसके लिए पुरानी दिल्ली के दक्षिण में एक नए नगर नई दिल्ली का निर्माण प्रारम्भ हुआ। अंग्रेजों से १९४७ में स्वतंत्रता प्राप्त कर नई दिल्ली को भारत की राजधानी घोषित किया गया।




स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् दिल्ली में विभिन्न क्षेत्रों से लोगों का प्रवासन हुआ, इससे दिल्ली के स्वरूप में आमूल परिवर्तन हुआ। विभिन्न प्रान्तो, धर्मों एवं जातियों के लोगों के दिल्ली में बसने के कारण दिल्ली का शहरीकरण तो हुआ ही यहाँ एक मिश्रित संस्कृति नें भी जन्म लिया। आज दिल्ली भारत की एक प्रमुख राजनैतिक, सास्कृतिक एवं वाणिज्यिक केन्द्र है।










































































नामकरण




इस नगर का नाम "दिल्ली" कैसे पड़ा इसका कोई निश्चित संदर्भ नहीं मिलता लेकिन व्यापक रूप से यह माना गया है कि यह एक प्राचीन राजा "ढिल्लु" से सम्बन्धित है। कुछ इतिहासकारों का यह मानना है कि यह देहली का एक विकृत रूप है, जिसका हिन्दुस्तानी में अर्थ होता है 'चौखट',जो कि इस नगर के सम्भवतः सिन्धु-गंगा समभूमि के प्रवेश-द्वार होने का सूचक है। एक और अनुमान के अनुसार इस नगर का प्रारम्भिक नाम "ढिलिका" था। हिन्दी/प्राकृत "ढीली" भी इस क्षेत्र के लिये प्रयोग किया जाता था जो अन्तत।
[संपादित करें]इतिहास




मुख्य लेख : दिल्ली का इतिहास












लाल किला




दिल्ली का प्राचीनतम उल्लेख महाभारत में मिलता है जहाँ इसका उल्लेख प्राचीन इन्द्रप्रस्थ के के रूप में किया गया है। इन्द्रप्रस्थ पांडवों की राजधानी थी।[5] पुरातात्विक रूप से जो पहले प्रमाण मिले हैं उससे पता चलता है कि ईसा से दो हजार वर्ष पहले भी दिल्ली तथा उसके आस-पास मानव निवास करते थे।[6] मौर्य-काल (ईसा पूर्व ३००) से यहाँ एक नगर का विकास शुरु हुआ। चंदरबरदाई की रचना पृथ्वीराज रासो में तोमर राजा अनंगपाल को दिल्ली का संस्थापक बताया गया है। ऐसा माना जाता है कि उसने ही 'लाल-कोट' का निर्माण करवाया था और लौह-स्तंभ को दिल्ली लाया। दिल्ली में तोमरो का शासनकाल९००-१२०० इसवीं तक माना जाता है। 'दिल्ली' या 'दिल्लिका' शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम उदयपुर में प्राप्त शिलालेखों पर पाया गया। इस शिलालेख का समय ११७० इसवीं निर्धारित किया गया।




१२०६ इसवीं के बाद दिल्ली दिल्ली सल्तनत की राजधानी बनी। इसपर खिलज़ी वंश, तुगलक़ वंश, सैयद वंश और लोधी वंश समते कुछ अन्य वंशों ने शासन किया। ऐसा माना जाता है कि आज की आधुनिक दिल्ली बनने से पहले दिल्ली सात बार उजड़ी और विभिन्न स्थानों पर बसी, जिनके कुछ अवशेष अब भी देखे जा सकते हैं। दिल्ली के तत्कालीन शासकों ने इसके स्वरूप में कई बार परिवर्तन किया। मुगल बादशाह हुमायूँ ने सरहिंद के निकट युद्ध में अफ़गानों को पराजित किया तथा बिना किसी विरोध के दिल्ली पर अधिकार कर लिया। हुमायूँ की मृत्यु के बाद हेमू विक्रमादित्य के नेतृत्व में अफ़गानों नें मुगल सेना को पराजित कर आगरा व दिल्ली पर पुनः अधिकार कर लिया। मुगल बादशाह अकबर ने अपनी राजधानी को दिल्ली से आगरा स्थान्तरित कर दिया। अकबर के पोते शाहजहाँ (१६२८-१६५८) ने सत्रहवीं सदी के मध्य में इसे सातवीं बार बसाया जिसे शाहजहानाबाद के नाम से पुकारा गया। शाहजहानाबाद को आम बोल-चाल की भाषा में पुराना शहर या पुरानी दिल्ली कहा जाता है। प्राचीनकाल से पुरानी दिल्ली पर अनेक राजाओं एवं सम्राटों ने राज्य किया हैं तथा समय-समय पर इसके नाम में भी परिवर्तन किया जाता रहा था। पुरानी दिल्ली १६३८ के बाद मुग़ल सम्राटों की राजधानी रही। आखिरी मुगल बादशाह बहादुर शाह जफ़र था।




१८५७ के सिपाही विद्रोह के बाद दिल्ली पर ब्रिटिश शासन के हुकुमत में शासन चलने लगा। १८५७ के इस प्रथम भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के आंदोलन को पूरी तरह दबाने के बाद अंग्रेजों ने बहादुरशाह ज़फ़र को रंगून भेज दिया तथा भारत पूरी तरह से अंग्रेजो के अधीन हो गया। प्रारंभ में उन्होंने कलकत्ते (आजकल कोलकाता) से शासन संभाला परंतु १९११ मेंउपनिवेश राजधानी को दिल्ली स्थानांतरित कर दिया गया। १९४७ में भारत की आजादी के बाद इसे अधिकारिक रूप से भारत की राजधानी घोषित कर दिया गया। दिल्ली में कई राजाओं के साम्राज्य के उदय तथा पतन के साक्ष्य आज भी विद्यमान हैं। सच्चे मायने में दिल्ली हमारे देश के भविष्य, भूतकाल एवं वर्तमान परिस्थितियों का मेल-मिश्रण हैं। तोमर शासको मै दिल्ली कि इस्थपना का शेय अनंगपाल को जाता है।
[संपादित करें]जलवायु, भूगोल और जनसांख्यिकी
[संपादित करें]भौगोलिक स्थिति




मुख्य लेख : दिल्ली का भूगोल










दिल्ली में यमुना नदी




राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली 1,484 कि.मी.२ (573 वर्ग मील) में विस्तृत है, जिसमें से 783 कि.मी.२ (302 वर्ग मील) भाग ग्रामीण, और 700 कि.मी.२(270 वर्ग मील) भाग शहरी घोषित है। दिल्ली उत्तर-दक्षिण में अधिकतम 51.9 कि.मी. (32 मील) है और पूर्व-पश्चिम में अधिकतम चौड़ाई 48.48 कि.मी. (30 मील) है। दिल्ली के अनुरक्षण हेतु तीन संस्थाएं कार्यरत है:-
दिल्ली नगर निगम:निगम विश्व की सबसे बड़ी नगर पालिका संगठन है, जो कि अनुमानित १३७.८० लाख नागरिकों (क्षेत्रफल 1,397.3 कि.मी.२ or 540 वर्ग मील) को नागरिक सेवाएं प्रदान करती है। यह क्षेत्रफ़ल के हिसाब से भी मात्र टोक्यो से ही पीछे है।"[7]. नगर निगम १३९७ वर्ग कि.मी. का क्षेत्र देखती है।
नई दिल्ली नगरपालिका परिषद: (एन डी एम सी) (क्षेत्रफल 42.7 कि.मी.२ or 16 वर्ग मील) नई दिल्ली की नगरपालिका परिषद का नाम है। इसके अधीन आने वाला कार्यक्षेत्र एन डी एम सी क्षेत्र कहलाता है।
दिल्ली छावनी बोर्ड: (क्षेत्रफल (43 कि.मी.२ or 17 वर्ग मील)[8] जो दिल्ली के छावनी क्षेत्रों को देखता है।




दिल्ली एक अति-विस्तृत क्षेत्र है। यह अपने चरम पर उत्तर में सरूप नगर से दक्षिण में रजोकरी तक फैला है। पश्चिमतम छोर नजफगढ़ से पूर्व में यमुना नदी तक(तुलनात्मक परंपरागत पूर्वी छोर)। वैसे शाहदरा, भजनपुरा, आदि इसके पूर्वतम छोर होने के साथ ही बड़े बाज़ारों में भी आते हैं। रा.रा.क्षेत्र में उपरोक्त सीमाओं से लगे निकटवर्ती प्रदेशों के नोएडा, गुड़गांवआदि क्षेत्र भी आते हैं। दिल्ली की भू-प्रकृति बहुत बदलती हुई है। यह उत्तर में समतल कृषि मैदानों से लेकर दक्षिण में शुष्क अरावली पर्वत के आरंभ तक बदलती है। दिल्ली के दक्षिण में बड़ी प्राकृतिक झीलें हुआ करती थीं, जो अब अत्यधिक खनन के कारण सूखाती चली गईं हैं। इनमें से एक है बड़खल झीलयमुना नदी शहर के पूर्वी क्षेत्रों को अलग करती है। ये क्षेत्र यमुना पार कहलाते हैं, वैसे ये नई दिल्ली से बहुत से पुलों द्वारा भली-भांति जुड़े हुए हैं। दिल्ली मेट्रो भी अभी दो पुलों द्वारा नदी को पार करती है।




दिल्ली 28.61, 77.23 पर उत्तरी भारत में बसा हुआ है। यह समुद्रतल से ७०० से १००० फीट की ऊँचाई पर हिमालयसे १६० किलोमीटर दक्षिण में यमुना नदी के किनारे पर बसा है। यह उत्तर, पश्चिम एवं दक्षिण तीन तरफं से हरियाणा राज्य तथा पूर्व में उत्तर प्रदेश राज्य द्वारा घिरा हुआ है। दिल्ली लगभग पूर्णतया गांगेय क्षेत्र में स्थित है। दिल्ली के भूगोल के दो प्रधान अंग हैं यमुना सिंचित समतल एवं दिल्ली रिज (पहाड़ी)। अपेक्षाकृत निचले स्तर पर स्थित मैदानी उपत्यकाकृषि हेतु उत्कृष्ट भूमि उपलब्ध कराती है, हालांकि ये बाढ़ संभावित क्षेत्र रहे हैं। ये दिल्ली के पूर्वी ओर हैं। और पश्चिमी ओर रिज क्षेत्र है। इसकी अधिकतम ऊंचाई ३१८ मी.(१०४३ फी.) [9] तक जाती है। यह दक्षिण में अरावली पर्वतमाला से आरंभ होकर शहर के पश्चिमी, उत्तर-पश्चिमी एवं उत्तर-पूर्वी क्षेत्रों तक फैले हैं। दिल्ली की जीवनरेखा यमुना हिन्दू धर्म में अति पवित्र नदियों में से एक है। एक अन्य छोटी नदी हिंडन नदी पूर्वी दिल्ली को गाजियाबाद से अलग करती है। दिल्ली सीज़्मिक क्षेत्र-IV में आने से इसे बड़े भूकम्पों का संभावी बनाती है।[10]
[संपादित करें]जल संपदा












दिल्ली की जल संरचना




भूमिगत जलभृत लाखों वर्षों से प्राकृतिक रूप से नदियों और बरसाती धाराओं से नवजीवन पाते रहे हैं। भारत में गंगा-यमुना का मैदान ऐसा क्षेत्र है, जिसमें सबसे उत्तम जल संसाधन मौजूद हैं। यहाँ अच्छी वर्षा होती है और हिमालय के ग्लेशियरों से निकलने वाली सदानीरा नदियाँ बहती हैं।दिल्ली जैसे कुछ क्षेत्रों में भी कुछ ऐसा ही है। इसके दक्षिणी पठारी क्षेत्र का ढलाव समतल भाग की ओर है, जिसमें पहाड़ी श्रृंखलाओं ने प्राकृतिक झीलें बना दी हैं। पहाड़ियों पर का प्राकृतिक वनाच्छादन कई बारहमासी जलधाराओं का उद्गम स्थल हुआ करता था।[11]




व्यापारिक केन्द्र के रूप में दिल्ली आज जिस स्थिति में है; उसका कारण यहाँ चौड़ी पाट की एक यातायात योग्य नदी यमुना का होना ही है; जिसमें माल ढुलाई भी की जा सकती थी। ५०० ई. पूर्व में भी निश्चित ही यह एक ऐसी ऐश्वर्यशाली नगरी थी, जिसकी संपत्तियों की रक्षा के लिए नगर प्राचीर बनाने की आवश्यकता पड़ी थी। सलीमगढ़ और पुराना किला की खुदाइयों में प्राप्त तथ्यों और पुराना किला से इसके इतने प्राचीन नगर होने के प्रमाण मिलते हैं। १००० ई. के बाद से तो इसके इतिहास, इसके युध्दापदाओं और उनसे बदलने वाले राजवंशों का पर्याप्त विवरण मिलता है।[11]




भौगोलिक दृष्टि से अरावली की श्रृंखलाओं से घिरे होने के कारण दिल्ली की शहरी बस्तियों को कुछ विशेष उपहार मिले हैं। अरावली श्रृंखला और उसके प्राकृतिक वनों से तीन बारहमासी नदियाँ दिल्ली के मध्य से बहती यमुना में मिलती थीं। दक्षिण एशियाई भूसंरचनात्मक परिवर्तन से अब यमुना अपने पुराने मार्ग से पूर्व की ओर बीस किलोमीटर हट गई है।[12] 3000 ई. पूर्व में ये नदी दिल्ली में वर्तमान 'रिज' के पश्चिम में होकर बहती थी। उसी युग में अरावली की श्रृंखलाओं के दूसरी ओर सरस्वती नदी बहती थी, जो पहले तो पश्चिम की ओर सरकी और बाद में भौगोलिक संरचना में भूमिगत होकर पूर्णत: लुप्त हो गई।




एक अंग्रेज द्वारा १८०७ में किए गए सर्वेक्षण के आधार पर बने उपर्युक्त नक्शे में वह जलधाराएं दिखाई गई हैं, जो दिल्ली की यमुना में मिलती थीं। एक तिलपत की पहाड़ियों में दक्षिण से उत्तर की ओर बहती थी, तो दूसरी हौजखास में अनेक सहायक धाराओं को समेटते हुए पूर्वाभिमुख बहती बारापुला के स्थान पर निजामुद्दीन के ऊपरी यमुना प्रवाह में जाकर मिलती थी। एक तीसरी और इनसे बड़ी धारा जिसे साहिबी नदी (पूर्व नाम रोहिणी) कहते थे। दक्षिण-पश्चिम से निकल कर रिज के उत्तर में यमुना में मिलती थी। ऐसा लगता है कि विवर्तनिक हलचल के कारण इसके बहाव का निचाई वाला भूभाग कुछ ऊंचा हो गया, जिससे इसका यमुना में गिरना रूक गया।[11] पिछले मार्ग से इसका ज्यादा पानी नजफगढ़ झील में जाने लगा। कोई ७० वर्ष पहले तक इस झील का आकार २२० वर्ग किलोमीटर होता था। अंग्रेजों ने साहिबी नदी की गाद निकालकर तल सफ़ाई करके नाला नजफगढ़ का नाम दिया और इसे यमुना में मिला दिया। यही जलधाराएं और यमुना-दिल्ली में अरावली की श्रृंखलाओं के कटोरे में बसने वाली अनेक बस्तियों और राजधानियों को सदा पर्याप्त जल उपलब्ध कराती आईं थीं।




हिमालय के हिमनदों से निकलने के कारण यमुना सदानीरा रही है। परंतु अन्य उपरोक्त उपनदियां अब से २०० वर्ष पूर्व तक ही, जब तक कि अरावली की पर्वतमाला प्राकृतिक वन से ढकी रहीं तभी तक बारहमासी रह सकीं। खेद है कि दिल्ली में वनों का कटान खिलजियों के समय से ही शुरू हो गया था। इस्लाम स्वीकार न करने वाले स्थानीय विद्रोहियों और लूटपाट करने वाले मेवों का दमन करने के लिए ऐसा किया गया था। साथ ही बढ़ती शहरी आबादी के भार से भी वन प्रांत सिकुड़ा है। इसके चलते वनांचल में संरक्षित वर्षा जल का अवक्षय हुआ।[11]




ब्रिटिश काल मेंअंग्रेजी शासन के दौरान दिल्ली में सड़कों के निर्माण और बाढ़ अवरोधी बांध बनाने से पर्यावरण परिवर्तन के कारण ये जलधाराएं वर्ष में ग्रीष्म के समय सूख जाने लगीं। स्वतंत्रता के बाद के समय में बरसाती नालों, फुटपाथों और गलियों को सीमेंट से पक्का किया गया, इससे इन धाराओं को जल पहुंचाने वाले स्वाभाविक मार्ग अवरुद्ध हो गये।[11] ऐसी दशा में, जहां इन्हें रास्ता नहीं मिला, वहाँ वे मानसून में बरसाती नालों की तरह उफनने लगीं। विशद रूप में सीमेंट कंक्रीट के निर्माणों के कारण उन्हें भूमिगत जलभृत्तों या नदी में मिलाने का उपाय नहीं रह गया है। आज इन नदियों में नगर का अधिकतर मैला ही गिरता है।
[संपादित करें]जलवायु












इंडिया गेट के निकट तड़ित। दिल्ली अपनी अधिकतम वर्षा जुलाई-अगस्त माह में मानसूनसे पाता है।




दिल्ली के महाद्वीपीय जलवायु में ग्रीष्म ऋतु एवं शीत ऋतु के तापमान में बहुत अंतर होता है। ग्रीष्म ऋतु लंबी, अत्यधिक गर्म अप्रैल से मध्य-अक्तूबर तक चलती हैं। इस बीच में मानसून सहित वर्षा ऋतु भी आती है। ये गर्मी काफ़ी घातक भी हो सकती है, जिसने भूतकाल में कई जानें ली हैं। मार्च के आरंभ से ही वायु की दिशा में परिवर्तन होने लगता है। ये उत्तर-पश्चिम से हट कर दक्षिण-पश्चिम दिशा में चलने लगती हैं। ये अपने साथ राजस्थान की गर्म लहर और धूल भी लेती चलती हैं। ये गर्मी का मुख्य अंग हैं। इन्हें ही लू कहते हैं। अप्रैल से जून के महीने अत्यधिक गर्म होते हैं, जिनमें उच्च ऑक्सीकरण क्षमता होती है। जून के अंत तक नमी में वृद्धि होती है जो पूर्व मॉनसून वर्षा लाती हैं। इसके बाद जुळाई से यहांमॉनसून की हवाएं चलती हैं, जो अच्छी वर्षा लाती हैं। अक्तूबर-नवंबर में शिशिर काल रहता है, जो हल्की ठंड के संग आनंद दायक होता है। नवंबर से शीत ऋतु का आरंभ होता है, जो फरवरी के आरंभ तक चलता है। शीतकाल में घना कोहरा भी पड़ता है, एवं शीतलहर चलती है, जो कि फिर वही तेज गर्मी की भांति घातक होती है। [13]यहां के तापमान में अत्यधिक अंतर आता है जो −०.६ °से. (३०.९ °फ़ै.) से लेकर 48 °से. (118 °फ़ै.) तक जाता है।[14]वार्षिक औसत तापमान २५°से. (७७ °फ़ै.); मासिक औसत तापमान १३°से. से लेकर ३२°से (५६°फ़ै. से लेकर ९०°फ़ै.) तक होता है।[15] औसत वार्षिक वर्षा लगभग ७१४ मि.मी. (२८.१ इंच) होती है, जिसमें से अधिकतम मानसून द्वाराजुलाई-अगस्त में होती है। [5] दिल्ली में मानसून के आगमन की औसत तिथि २९ जून होती है।[16]






[दिखाएँ] दिल्ली के लिए मौसम के औसत










[संपादित करें]जनसांख्यिकी






[दिखाएँ]दिल्ली में जनसंख्या






१९०१ में ४ लाख की जनसंख्या के साथ दिल्ली एक छोटा नगर था। १९११ में ब्रिटिश भारत की राजधानी बनने के साथ इसकी जनसंख्या बढ़ने लगी। भारत के विभाजन के समय पाकिस्तान से एक बहुत बड़ी संख्या में लोग आकर दिल्ली में बसने लगे। यह प्रवासन विभाजन के बाद भी चलता रहा। वार्षिक ३.८५% की वृद्धि के साथ २००१ में दिल्ली की जनसंख्या १ करोड़ ३८ लाख पहुँच चुकी है।[18] १९९१ से २००१ के दशक में जनसंख्या की वृद्धि की दर ४७.०२% थी। दिल्ली में जनसख्या का घनत्व प्रति किलोमीटर ९,२९४ व्यक्ति तथा लिंग अनुपात ८२१ महिलाओं एवं १००० पुरूषों का है। यहाँ साक्षरता का प्रतिशत ८१.८२% है।
[संपादित करें]नागर प्रशासन




मुख्य लेख : दिल्ली के जिले और उपमंडल




राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली कुल नौ ज़िलों में बँटा हुआ है। हरेक जिले का एक उपायुक्त नियुक्त है, और जिले के तीन उपजिले हैं। प्रत्येक उप जिले का एक उप जिलाधीश नियुक्त है। सभी उपायुक्त मंडलीय अधिकारी के अधीन होते हैं। दिल्ली का जिला प्रशासन सभी प्रकार की राज्य एवं केन्द्रीय नीतियों और का प्रवर्तन विभाग होता है। यही विभिन्न अन्य सरकारी कार्यकलापों पर आधिकारिक नियंत्रण रखता है। निम्न लिखित दिल्ली के जिलों और उपजिलों की सूची है:-












दिल्ली के जिलेमध्य दिल्ली जिला




दरिया गंजपहाड़ गंजकरौल बागउत्तर दिल्ली जिला




सदर बाजार, दिल्लीकोतवाली, दिल्लीसब्जी मंडीदक्षिण दिल्ली जिला




कालकाजीडिफेन्स कालोनीहौज खासपूर्वी दिल्ली जिला




गाँधी नगर, दिल्लीप्रीत विहारविवेक विहारवसुंधरा एंक्लेवउत्तर पूर्वी दिल्ली जिलासीलमपुरशाहदरासीमा पुरीदक्षिण पश्चिम दिल्ली जिला




वसंत विहारनजफगढ़दिल्ली छावनीनई दिल्ली जिला




कनाट प्लेससंसद मार्गचाणक्य पुरीउत्तर पश्चिम दिल्ली जिला




सरस्वती विहारनरेलामॉडल टाउनपश्चिम दिल्ली जिला




पटेल नगरराजौरी गार्डनपंजाबी बाग
[संपादित करें]दर्शनीय स्थल




मुख्य लेख : दिल्ली के दर्शनीय स्थल












दिल्ली का अक्षरधाम मंदिर विश्व में सबसे बड़ा हिन्दू मंदिर परिसर है। [19]












दिल्ली मेट्रो - २००४




दिल्ली भारत की राजधानी ही नहीं पर्यटन का प्रमुख केंद्र भी है। राजधानी होने के कारण भारत सरकार के अनेक कार्यालय, राष्ट्रपति भवन, संसद भवन, केन्द्रीय सचिवालय आदि अनेक आधुनिक स्थापत्य के नमूने तो यहाँ देखे ही जा सकते हैं; प्राचीन नगर होने के कारण इसका ऐतिहासिक महत्त्व भी है। पुरातात्विक दृष्टि से पुराना किला, सफदरजंग का मकबरा, जंतर मंतर, क़ुतुब मीनार और लौह स्तंभ जैसे अनेक विश्व प्रसिद्ध निर्माण यहाँ पर आकर्षण का केंद्र समझे जाते हैं। एक ओर हुमायूँ का मकबरा, लाल किला जैसे विश्व धरोहरमुगल शैली की तथा पुराना किला, सफदरजंग का मकबरा, लोधी मकबरे परिसर आदि ऐतिहासिक राजसी इमारत यहाँ है तो दूसरी ओरनिज़ामुद्दीन औलिया की पारलौकिक दरगाह भी। लगभग सभी धर्मों के प्रसिद्ध धार्मिक स्थल यहाँ हैं जैसे बिरला मंदिर, आद्या कात्यायिनी शक्तिपीठ, बंगला साहब गुरुद्वारा, बहाई मंदिर और जामा मस्जिद देश के शहीदों का स्मारक इंडिया गेट, राजपथ पर इसी शहर में निर्मित किया गया है। भारत के प्रधान मंत्रियों की समाधियाँ हैं, जंतर मंतर है,लाल किला है साथ ही अनेक प्रकार के संग्रहालय और अनेक बाज़ार हैं, जैसे कनॉट प्लेस, चाँदनी चौक और बहुत से रमणीक उद्यान भी हैं, जैसे मुगल उद्यान, गार्डन ऑफ फाइव सेंसिस, तालकटोरा गार्डन, लोदी गार्डन, चिड़ियाघर, आदि, जो दिल्ली घूमने आने वालों का दिल लुभा लेते हैं।
[संपादित करें]दिल्ली के शिक्षा संस्थान




मुख्य लेख : दिल्ली के शिक्षा संस्थानों की सूची












भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, दिल्ली; इस संस्थान को एशियावीक द्वारा विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में चौथे सबसे अच्छे संस्थान का दर्जा दिया गया।[20]












जे एन यू प्रशासनिक भवन












संगत रूप से यह भारत का सर्वश्रेष्ठ आयुर्विज्ञान संस्थान है,[21] अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थानआयुर्विज्ञान शोध और चिकित्सा के क्षेत्र में एक वैश्विक संस्थान है।[22]




दिल्ली भारत में शिक्षा का एक महत्त्वपूर्ण केंद्र है। दिल्ली के विकास के साथ-साथ यहाँ शिक्षा का भी तेजी से विकास हुआ है। प्राथमिक शिक्षा तो प्रायः सार्वजनिक है। एक बहुत बड़े अनुपात में बच्चे माध्यमिक विद्यालयों में शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। स्त्री शिक्षा का विकास हर स्तर पर पुरूषों से अधिक हुआ है। यहाँ की शिक्षा संस्थाओं में विद्यार्थी भारत के सभी भागों से आते हैं। यहाँ कई सरकारी एवं निजी शिक्षा संस्थान हैं जो कला , वाणिज्य, विज्ञान, प्रोद्योगिकी, आयुर्विज्ञान, विधि और प्रबंधन में उच्च स्तर की शिक्षा देने के लिये विख्यात हैं। उच्च शिक्षा के संस्थानों में सबसे महत्त्वपूर्णदिल्ली विश्वविद्यालय है जिसके अन्तर्गत कई कॉलेज एवं शोध ससंथान हैं। गुरु गोबिन्द सिंह इन्द्रप्रस्थ विश्वविद्यालय, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान,जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय, टेरी - ऊर्जा और संसाधन संस्थान एवं जामिया मिलिया इस्लामिया उच्च शिक्षा के प्रमुख संस्थान हैं।
[संपादित करें]संस्कृति




मुख्य लेख : भारतीय संस्कृति












दिल्ली हाट में प्रदर्शित परंपरागत पॉटरी उत्पाद।




दिल्ली की संस्कृति यहाँ के लम्बे इतिहास और भारत की राजधानी के रूप में ऐतिहासिक स्थिति से पूर्ण प्रभावित रही है, यह शहर में बने कई महत्त्वपूर्ण ऐतिहासिक स्मारकों से विदित है। भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण विभाग ने दिल्ली शहर में लगभग १२०० धरोहर स्थल घोषित किए हैं, जो कि विश्व में किसी भी शहर से कहीं अधिक है। [23] और इनमें से १७५ स्थल राष्ट्रीय धरोहर स्थल घोषित किए हैं। [24] पुराना शहर वह स्थान है, जहां मुगलों और तुर्क शासकों ने स्थापत्य के कई नमूने खड़े किए, जैसे जामा मस्जिद (भारत की सबसे बड़ी मस्जिद)[25] और लाल किला। दिल्ली में फिल्हाल तीन विश्व धरोहर स्थल हैं –लाल किला, कुतुब मीनार और हुमायुं का मकबरा[26] अन्य स्मारकों में इंडिया गेट, जंतर मंतर (१८वीं सदी की खगोलशास्त्रीय वेधशाला), पुराना किला (१६वीं सदी का किला). बिरला मंदिर,अक्षरधाम मंदिर और कमल मंदिर आधुनिक स्थापत्यकला के उत्कृष्ट उदाहरण हैं। राज घाट में राष्ट्रपिता महात्मा गाँधीतथा निकट ही अन्य बड़े व्यक्तियों की समाधियां हैं। नई दिल्ली में बहुत से सरकारी कार्यालय, सरकारी आवास, तथा ब्रिटिश काल के अवशेष और इमारतें हैं। कुछ अत्यंत महत्त्वपूर्ण इमारतों में राष्ट्रपति भवन, केन्द्रीय सचिवालय, राजपथ,संसद भवन और विजय चौक आते हैं। सफदरजंग का मकबरा और हुमायुं का मकबरा मुगल बागों के चार बाग शैली का उत्कृष्ट उदाहरण हैं।




दिल्ली के राजधानी नई दिल्ली से जुड़ाव और भूगोलीय निकटता ने यहाँ की राष्ट्रीय घटनाओं और अवसरों के महत्त्व को कई गुणा बढ़ा दिया है। यहाँ कई राष्ट्रीय त्यौहार जैसे गणतंत्र दिवस, स्वतंत्रता दिवस और गाँधी जयंती खूब हर्षोल्लास से मनाए जाते हैं। भारत के स्वतंत्रता दिवस पर यहाँ के प्रधान मंत्री लाल किले से यहाँ की जनता को संबोधित करते हैं। बहुत से दिल्लीवासी इस दिन को पतंगें उड़ाकर मनाते हैं। इस दिन पतंगों को स्वतंत्रता का प्रतीक माना जाता है।[27] गणतंत्र दिवस की परेड एक वृहत जुलूस होता है, जिसमें भारत की सैन्य शक्ति और सांस्कृतिक झांकी का प्रदर्शन होता है। [28][29]




यहाँ के धार्मिक त्यौहारों में दीवाली, होली, दशहरा, दुर्गा पूजा, महावीर जयंती, गुरु परब, क्रिसमस, महाशिवरात्रि, ईद उल फितर, बुद्ध जयंती लोहड़ी पोंगल और ओड़म जैसे पर्व हैं। [29] कुतुब फेस्टिवल में संगीतकारों और नर्तकों का अखिल भारतीय संगम होता है, जो कुछ रातों को जगमगा देता है। यह कुतुब मीनार के पार्श्व में आयोजित होता है। [30] अन्य कई पर्व भी यहाँ होते हैं: जैसे आम महोत्सव, पतंगबाजी महोत्सव, वसंत पंचमी जो वार्षिक होते हैं। एशिया की सबसे बड़ी ऑटो प्रदर्शनी: ऑटो एक्स्पो [31] दिल्ली में द्विवार्षिक आयोजित होती है। प्रगति मैदान में वार्षिक पुस्तक मेला आयोजित होता है। यह विश्व का दूसरा सबसे बड़ा पुस्तक मेला है, जिसमें विश्व के २३ राष्ट्र भाग लेते हैं।दिल्ली को उसकी उच्च पढ़ाकू क्षमता के कारण कभी कभी विश्व की पुस्तक राजधानी भी कहा जाता है।[32]












ऑटो एक्स्पो, एशिया का सबसे बड़ा ऑटो प्रदर्शनी अवसर है। [31] , जो कि प्रगति मैदान में द्विवार्षिक आयोजित होता है।




पंजाबी और मुगलई खान पान जैसे कबाब और बिरयानी दिल्ली के कई भागों में प्रसिद्ध हैं।[33][34] दिल्ली की अत्यधिक मिश्रित जनसंख्या के कारण भारत के विभिन्न भागों के खानपान की झलक मिलती है, जैसेराजस्थानी, महाराष्ट्रियन, बंगाली, हैदराबादी खाना, और दक्षिण भारतीय खाने के आइटम जैसे इडली, सांभर, दोसा इत्यादि बहुतायत में मिल जाते हैं। इसके साथ ही स्थानीय खासियत, जैसे चाट इत्यादि भी खूब मिलती है, जिसे लोग चटकारे लगा लगा कर खाते हैं। इनके अलावा यहाँ महाद्वीपीय खाना जैसे इटैलियन और चाइनीज़ खाना भी बहुतायत में उपलब्ध है।




इतिहास में दिल्ली उत्तर भारत का एक महत्त्वपूर्ण व्यापार केन्द्र भी रहा है। पुरानी दिल्ली ने अभी भी अपने गलियों में फैले बाज़ारों और पुरानी मुगल धरोहरों में इन व्यापारिक क्षमताओं का इतिहास छुपा कर रखा है।[35] पुराने शहर के बाजारों में हर एक प्रकार का सामान मिलेगा। तेल में डूबे चटपटे आम, नींबू, आदि के अचारों से लेकर मंहगे हीरे जवाहरात, जेवर तक; दुल्हन के अलंकार, कपड़ों के थान, तैयार कपड़े, मसाले, मिठाइयाँ, और क्या नहीं?[35] कई पुरानी हवेलियाँ इस शहर में अभी भी शोभा पा रही हैं, और इतिहास को संजोए शान से खड़ी है। [36] चांदनी चौक, जो कि यहाँ का तीन शताब्दियों से भी पुराना बाजार है, दिल्ली के जेवर, ज़री साड़ियों और मसालों के लिए प्रसिद्ध है। [37]दिल्ली की प्रसिद्ध कलाओं में से कुछ हैं यहाँ के ज़रदोज़ी (सोने के तार का काम, जिसे ज़री भी कहा जाता है) औरमीनाकारी (जिसमें पीतल के बर्तनों इत्यादि पर नक्काशी के बीच रोगन भरा जाता है। यहाँ की कलाओं के लिए बाजार हैंप्रगति मैदान, दिल्ली, दिल्ली हाट, हौज खास, दिल्ली- जहां विभिन्न प्रकार के हस्तशिल्प के और हठकरघों के कार्य के नमूने मिल सकते हैं। समय के साथ साथ दिल्ली ने देश भर की कलाओं को यहाँ स्थान दिया हैं। इस तरह यहाँ की कोई खास शैली ना होकर एक अद्भुत मिश्रण हो गया है।[38][39]




दिल्ली के निम्न भगिनी शहर हैं:[40]
शिकागो, संयुक्त राज्य अमेरिका
कुआला लंपूर, मलेशिया
लंदन, संयुक्त राजशाही
मॉस्को, रूस
सिओल, दक्षिण कोरिया
वॉशिंगटन, संयुक्त राज्य अमेरिका
लॉस एंजिल्स, संयुक्त राज्य अमेरिका
सिडनी, ऑस्ट्रेलिया
पेरिस, फ्रांस

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