marq

Dr. Charles Simonyi is the Father of Modern Microsoft Excel                                           JavaScript was originally developed by Brendan Eich of Netscape under the name Mocha, later LiveScript, and finally renamed to JavaScript.                                           The word "Biology" is firstly used by Lamarck and Treviranus                                           Hippocrates (460-370 bc) is known as father of medicine.                                           Galene, 130-200 is known as father of Experimental Physology                                           Aristotle (384-322 BC) is known as Father of Zoology because he wrote the construction and behavior of different animals in his book "Historia animalium"                                           Theophrastus(370-285 BC) is known as father of Botany because he wrote about 500 different plants in his book "Historia Plantarum".                                           John Resig is known as Father of Jquery -                                          HTML is a markup language which is use to design web pages. It was invented in 1990 by Tim Berners-Lee.                                                                The Google was founded by Larry Page and Sergey Brin.                                                                Rasmus Lerdorf was the original creator of PHP. It was first released in 1995.                                                               Facebook was founded by Mark Zuckerberg                                                               Bjarne Stroustrup, creator of C++.                                                                Dennis Ritchie creator of C                                                                                                                              James Gosling, also known as the "Father of Java"                                          At 11.44%, Bihar is India's fastest growing state                                          Father of HTML -Tim Berners Lee                                          orkut was created by Orkut Büyükkökten, a Turkish software engineer                    Photoshop: It came about after Thomas Knoll, a PhD student at the University of Michigan created a program to display grayscale images on a monochrome monitor which at the time was called 'Display'.

PHP in Hindi - First 15 Pages

ये Content मेरी अगली eBook "PHP in Hindi" के पहले 15 पेज हैं और इस पुस्‍तक में "PHP with MySql" का प्रयोग करते हुए एक Professional Dynamic Web Site Develop करने से संबंतिध सभी जरूरी बातें हैं, जो आपको स्‍वयं के स्‍तर पर Web Site बनाने की क्षमता देती है, जबकि यदि आप किसी कम्‍पनी में जॉब प्राप्‍त करना चाहते हैं, तो ये पुस्‍तक आपको कम्‍पनी लेवल का ज्ञान देती है, ताकि आप ज्‍यादा से ज्‍यादा बेहतर तरीके से कम्‍पनी में काम कर सकें। 

इस पुस्‍तक में लगभग 400 से 600 पेज हो सकते हैं, क्‍योंकि पुस्‍तक अभी पूरी तरह से तैयार नहीं है, लेकिन बहुत जल्‍द ये पुस्‍तक Selling के लिए इस Web Site पर उपलब्‍ध होगी। 

इस पुस्‍तक के इन शुरूआती पन्‍नों को पढिये और आप स्‍वयं तय कीजिए, क्‍या कीमत उपयुक्‍त रहेगी इस पुस्‍तक की। आप अपना Suggestion Comment के रूप में लिख सकते हैं अथवाbccfalna@gmail.com पर एक ईमेल कर सकते हैं। 

ईमेल करने वाले व्‍यक्तियों के लिए कुछ Special Gift होगा मेरी तरफ से और ये बात मेरे सभी पुराने Customers जानते हैं, कि उन्‍हें हमेंशा उनकी उम्‍मीद से ज्‍यादा मिलता है।  तो, चलिए, शुरू करते हैं "PHP in Hindi" PHP की एकमात्र हिन्‍दी भाषी पुस्‍तक के शुरूआत के 15 पेज। 


PHP in Hindi

हम Web को दो हिस्सों में Divide कर सकते हैं।
  • Web Site
  • Web Application
Website सामान्‍यत: Advertisement के लिए उपयोगी होती है जबकि Web Application, Data को Manage करने के लिए। Web Sites को हम एक अन्‍य तरीके से फिर से दो भागों में बांट सकते हैं:
  • Static Web Site
  • Dynamic Web Site

Static Web Site ऐसी Web Site होती है, जिसके Contents को केवल एकबार Develop किया जाता है और बहुत कम बार Modify किया जाता है। ऐसे Content को बार&बार Modify करने की जरूरत नहीं होती। जबकि Dynamic Web Site ऐसी Web Site होती है, जिसके Content समय&समय पर और बार&बार जरूरत के अनुसार बदलते रहते हैं।

उदाहरण के लिए किसी Company के विभिन्न Employees की Information य Company के विकास की Information, किसी School के विभिन्न विधार्थियों की Personal Information, Teachers की Personal Information आदि ऐसी बातें हैं, जो लम्बे समय तक नहीं बदलती। इसलिए इस प्रकार की Information को जब Web Site के माध्‍यम से Represent किया जाता है, बनने वाली Web Site एकStatic Web Site होती है।

जबकि किसी Company के विभिन्न Employees की Salary की Information य Company के Growth से संबंधित Information जैसे कि Balance Sheet आदि बार&बार बदलती रहती है। इसी तरह से किसी School के विभिन्न Students की Mark-Sheet के Numbers व Results हर साल बदलते रहते हैं। जब इस प्रकार की Information को किसी Web Site के माध्‍यम  से Represent किया जाता है, तब जिस प्रकार की Web Sites बनानी पडती हैं, उन्हें Dynamic Web Sites कहते हैं।

यदि इस प्रकार की Web Sites को ज्यादा बेहतर शब्द से Represent करें, तो इस प्रकार की Web Sites को Web Applications भी कह सकते हैं। क्योंकि ये एक Full Flash Software होते हैं जो किसी एक Specific Type की जरूरत को Best तरीके से पूरा करते हैं व किसी एक समस्य से संबंधित विभिन्न प्रकार की Information को Best तरीके से Manage करते हैं।

Dynamic Website को भी हम दो हिस्सों में बांट सकते हैं :
  • Client Side Dynamic
  • Server Side Dynamic

Client Side Dynamic Websites को Interactive Website भी कहते हैं। सामान्‍यत: इस प्रकार की Websites में Client Side में JavaScript या इसके किसी Framework का प्रयोग करके Front End को Interactive बनाया जाता है।

एक ऐसी Web Site जिसे Visit करते समय, User उस Web Site के साथ किसी तरह का Interaction भी कर सकता है, किसी Item को Click कर सकता है, अधिक जानकारी के लिए किसी तरह के Animation को देख सकता है य अपनी जरूरत के अनुसार Content को Client Side में Modify करने में सक्षम होता है। यानी जब User, Client Side में किसी Web Site के साथ किसी तरह का कोई काम कर सकता है, तो इस प्रकार की Web Sites को Interactive Web Site कहते हैं।

जबकि Server Side Dynamic Website में Webpage पर दिखाई देने वाले Contents User की जरूरत के आधार पर Server से बनकर Client Web Browser में Display होते हैं। यानी ये Web Page ऐसे Web Page होते हैं, जो User की जरूरत के अनुसार Web Server पर Dynamically बनते हैं।

उदाहरण के लिए जब कोई Student अपनी Mark Sheet को Internet से प्राप्त करना चाहता है, तो वह किसी Web Site के किसी Web Page पर दिखाई देने वाले Form में अपना Name य Roll NumberEnter करता है और उसे केवल उसी की Mark Sheet प्राप्त होती है। जबकि हम जानते हैं कि उसी Form पर किसी अन्‍य Roll Number या नाम को Specify करने पर वही Web Page फिर से दिखाई देगा, लेकिन उसके Content पिछले वाले Result की तुलना में बिल्कुल अलग होंगे, क्योंकि सभी Students का Result व Mark Sheet एक समान नहीं होता।

इस प्रकार की Web Site जो कि अलग&अलग Input के लिए अलग&अलग Result प्रदान करे,Dynamic Website कहलाती है और जब User को दिखाई देने वाला Web Page किस तरह का दिखाई देगा, ये निर्णय User द्वारा Input किए गए Data के आधार पर Web Server लेता है, तो इस प्रकार की Dynamic Web Site को Server Side Dynamic Website कहा जाता है।

एक Server Side Dynamic Web Site के भी दो हिस्से होते हैं। जो हिस्सा Client Side के Web Browser में User के सामने दिखाई देता है, वह हिस्सा Front End कहलाता है जो कि सामान्‍यत:Web Page होता है, जबकि उस Front End Web Page पर User को क्या और कैसा दिखाई देना चाहिए, इसे Dynamic Web Site के जिस हिस्से द्वारा Control किया जाता है, य Generate किया जाता है, उस हिस्से को Back End कहा जा सकता है।

किसी User को दिखाई देने वाला Website का हिस्सा यानी Front End भी तीन भागों में बांटा जा सकता है :
  • Structure of Web Page
  • Style of Web Page
  • Behavior of Web Page

Webpage के Structure को तय करने का काम HTML का होता है, Webpage के Appearance को Define करने का काम CSS का होता है। जबकि Webpage को Interactivity व Dynamic बनाने का काम JavaScript का होता है।

इसी तरह से Website के Back End को तीन हिस्सों में Divide किया जा सकता है:
  • Web Server or Host
  • Server Side Scripting Language
  • Server Side Database

सामान्‍यत: नए Programmers Web Clients व Web Server को ठीक से नहीं समझ पाते जो उन्हें तेजी से Web Programming सीखने में काफी परेशानी में पैदा करता है। इसलिए सबसे पहले ये समझना जरूरी है कि आखिर ये Web Site होता क्‍या है और लोग Web Site क्यों बनवाते हैं।

यदि हम Root Level पर समझें, तो एक Web Sites केवल किसी Information को Represent करने का Electronic Medium है। यदि Professional शब्दों में कहें तो एक Web Site वास्तव में एक सबसे कम खर्चे वाला तथा Customers के लिए सबसे ज्‍यादा सुविधापूर्ण तरीके से किसी Product के बारे में Detail से Information देने वाला Advertising Medium है। जिसे विभिन्न Businessman अपने किसी Product को Internet के माध्‍यम  से Directly Sell करने अथवा किसी Product कोIndirectly Promote करने के लिए Develop करवाते हैं।

क्‍या आपने कभी सोंचा है कि Advertising का मूल उद~देश्‍य क्‍या होता है\ Advertising का मूल उद~देश्‍य किसी Product की Direct Selling करना अथवा Indirect Promoting करना ही होता है, ताकि उस Product के Owner का व्‍यापार बढ सके। Internet किसी व्‍यापार को बढाने मेंNewspaper, Radio, Television आदि की तरह ही एकबहुत बडा माध्‍यम  है, जहां करोडों लोग किसी भी समय Internet Surfing करते हुए उपलब्ध रहते हैं और इसीलिए विभिन्न Business Owners अपनी Web Site बनवाते हैं।

सामान्‍यत: नए Web Programmers एक और गलती करते हैं। उनका तर्क ये होता है कि सभी Web Sites हमेंशा किसी Product की Selling य Promoting नहीं करतीं, बल्कि ज्‍यादातर Web Sites पर वे जो Information देखते हैं, उनमें कहीं भी किसी भी तरह के Product का जिक्र नहीं होता। उदाहरण के लिए Google, Yahoo आदि Web Sites हैं, जो बिना किसी तरह की Fees लिए हुए हमें Internet पर Searching करने की सुविधा देते हैं।

जबकि सच्चाई ये है कि हर Web Site किसी ना किसी Product की Selling के लिए ही Develop की जाती है और जो Web Site Online Selling य Promotion नहीं करतीं, वे Web Site ज्‍यादा समय तक Available नहीं रहतीं।

नए Web Programmers Marketing Fundas व Advertising Tricks से अनभिज्ञ होते हैं। उन्हें हर Web Site पर Selling के लिए Product दिखाई नहीं देते, इसलिए वे समझते हैं कि वह Web Site मुफ~त में सारी जानकारी दे रहा है और यहीं नए Web Programmers गलती करते हैं। सामान्‍यत: वे समझते हैं कि हर Product Physical होता है, जो कि उनकी सबसे बडी भूल है।

Product हमेंशा Physical ही हो, ऐसा जरूरी नहीं है। उदाहरण के लिए यदि मानलें कि आपने अपनी School की पढाई पूरी कर ली और अब आप किसी Best MBA College में Admission प्राप्त करना चाहते हैं। ये जानने के लिए कि सबसे अच्छा MBA College कौनसा है और वहां क्‍या Fees है, कितने साल का कोर्स है, क्‍या Subjects पढाए जाते हैं, पुराने Students की Job Placements की क्‍या स्थिति है, आदि विभिन्न प्रकार की जानकारियों को प्राप्त करने के लिए आप लोगों से पूछते हैं अथवा आप Internet पर Surfing का प्रयोग करते हैं।

जब आप Internet द्वारा किसी College का Selection करना चाहते हैं, ताकि आप Best College में Admission प्राप्त कर सकें, तो वास्तव में आप विभिन्न Colleges की Advertising ही तो देख रहे होते हैं। क्योंकि आप जिस किसी भी School या College में Admission लेंगे, वह School य College आपसे Fees के रूप में पैसा वसूल करेगा और यदि उस College ने अपनी Web Site न बनवाई होती, तो आपको उस College के बारे में जानकारी कैसे मिलती। यदि आप उस College के बारे में Internet के माध्‍यम  से जान नहीं पाते, तो आप वहां Admission कैसे लेते और यदि आप उस Internet द्वारा Selected College में Admission नहीं लेते, तो वह College आपसे Fees कैसे वसूलता।

यदि ध्‍यान से देखा जाए, तो यहां आपने उस College से कुछ नहीं खरीदा, फिर भी फीस के रूप में आपने उसे पैसा दिया। तो आप कैसे कह सकते हैं कि हर Web Site अपना Product Sell नहीं करती क्योंकि किसी College के लिए उसके Course ही उसके Products हैं और कोई Service या Course कोई Physical वस्तु नहीं होती, फिर भी उसे खरीदा जाता है। 

यानी मूल रूप से समझने वाली बात ये है कि Internet दुनियां का एक सबसे बडा Advertising Medium है और हर Web Site किसी न किसी Product की Advertising के लिए ही बनायी गई होती है, फिर चाहे वह Product Physical हो अथवा Virtual.

जब Product Physical होता है, तब Web Site उस Product को Directly Offer करती हैं, ताकि जो User उस Web Site को देखें, वे उस Product को Directly Internet के माध्‍यम  से Online खरीद सकें जबकि जो Product Directly Sellable नहीं होते, जैसे कि कोई Service य Course, उन्हें Internet के माध्‍यम  से Promote किया जाता है, ताकि लोग उन Offer की गई Services के बारे में जानें और Web Site Owner को ज्‍यादा से ज्‍यादा Customers यानी Clients मिलें, ताकि उसका व्‍यापार बढ सके। इस प्रक्रिया को हम Indirect Selling य Promotion कह सकते हैं।

तो सारांश के रूप में कहें तो हर Web Site किसी ना किसी Businessman की ही होती है और ही Businessman चाहता है कि उसे ज्‍यादा से ज्‍यादा Customers मिलें। इसलिए एक Businessman के नजरिए से समझें, तो उसकी Web Site को Visit करने वाला हर User, उसका एक Customer यClient है। क्योंकि जो User किसी Owner की Web Site को Visit करता है, उस User को भी Clientकहा जा सकता है, जबकि User जिस Owner की Web Site को Visit करता है, उस Web Site Owner को Server भी कहा जा सकता है, क्योंकि वह Owner अपने User को किसी न किसी तरह कीPhysical Product य Virtual Service Provide करता है।

जिस प्रकार से Real World में Client व Server होते हैं, जैसाकि हमने उपरोक्त Discussion द्वारा समझा, उसी प्रकार से जब हम Web Development की बात करते हैं, तब भी Client व Server होते हैं, जिन्हें सामान्‍यत: Web Client व Web Server कहा जाता है।

Web Client व Web Server को Web Development के नजरिए से ठीक से समझने के लिए हमें दोPerspectives को ध्‍यान में रखना होता है, क्योंकि Web Client व Web Server, दोनों दो Layers का समूह होते हैं:
  • Hardware Layer
  • Software Layer

User जिस Computer य Device जैसे कि Computer, Laptop, Notebook, Mobile Phone आदि के माध्‍यम  से Internet को Use करता है, वह माध्‍यम  Hardware Layer को Represent करता है। जबकि वह User अपनी Device में Installed जिस Software के माध्‍यम  से Internet Surfing करता है, वह माध्‍यम  Software Layer को Represent करता है, जो कि सामान्‍यत: Web Browser होता है।

यानी वह Device, जिसके द्वारा User Internet Use करता है, Hardware Client है। साथ ही उस Device में Installed वह Software जो कि सामान्‍यत: Web Browser होता है, जिसके माध्‍यम  से User Internet Surfing करता है, Software Client है।

Software हमेंशा Hardware पर निर्भर होते हैं और ये दोनों हमेंशा साथ में होते हैं तभी उपयोगी होते हैं। यानी यदि आपके पास Computer हो, लेकिन उस Computer में कोई Web Browser जैसे कि Internet Explorer, Mozilla, Firefox, Safari, Chrome आदि न हो, तो आप Internet Surfing नहीं कर सकते, क्योंकि कोई भी Device बिना उपयुक्त Software के Electronic पुर्जों के एक Box के अलावा और कुछ नहीं होता इसलिए बिना Web Browsers के आपका Computer आपको Web Surfing नहीं करवा सकता।

जबकि यदि दूसरे तरीके से देखें, तो बिना किसी Hardware के किसी Software का कोई औचित्‍य ही नहीं होता क्योंकि Software हमेंशा किसी न किसी Hardware के अन्दर ही होता है। परिणामस्वरूप यदि आपके पास Internet Surfing करने के लिए कोई Device ही नहीं है, तो फिर Software हो ही नहीं सकता।

Hardware व Software के इस Combination को ही Web Client य Web Server कहा जाता है। यानी एक User, जो कि किसी Web Site को Visit करता है, एक Device, जिसके माध्‍यम  से User किसी Web Site को Visit करता है और वह Web Browser Software जिसके बिना User किसी Web Site को Visit नहीं कर सकता, तीनों का Combined रूप Web Client को Represent करता है, लेकिन एक Web Developer के नजरिए से हम केवल Web Browser को ही Web Client या Client Software कहते हैं क्योंकि Web Browser किसी Device पर निर्भर नहीं होता इसलिए हर Device में समान या भिन्न Web Browser हो सकता है और एक Web Programmer के रूप में हमें केवल Web Browser के बारे में ही सोचना होता है।

अब हम Web Server के बारे में समझते हैं। Web Client यानी Device + Web BrowserSoftware किसी User को ये सुविधा देते हैं, कि वह Internet पर किसी तरह की Request Perform कर सके। उदाहरण के लिए जब User किसी Web Site का URL किसी Web Browser के Address Bar में Fill करके Enter Key Press करता है अथवा HTML Web Page पर दिखाई देने वाले किसी Link को Click करता है, तो वास्तव में वह एक प्रकार की Request कर रहा होता है, जो इस बात को Indicate करता है कि वह उस URL य Link से Associated Information को जानना चाहता है।

चूंकि सामान्‍यत: एक Device को केवल एक ही User Use कर रहा होता है और वह User एक बार में केवल एकही Request करता है, इसलिए User के Device का High Quality व High Performance का होना जरूरी नहीं होता, लेकिन User जिस Web Site को Visits कर रहा होता है, उसी समय उसी Web Site को लाखों लोग Use कर रहे हो सकते हैं।

उदाहरण के लिए जिस समय आप Google पर कुछ Search कर रहे होते हैं, उसी समय लाखों लोग उसी Google के उसी Home Page पर किसी ना किसी तरह की Searching कर रहे होते हैं। इस स्थिति में एक ही समय पर लाखों लोगों की Requirements को सामान्‍य से Computer य Mobile Phone Device द्वारा पूरा किया जाना सम्भव नहीं हो सकता।

इसलिए User जिस Web Site को Visit करता है, उस Web Site को एक बहुत ही High Power व High Quality के Computer System पर Host किया जाना जरूरी होता है, जो कि हर समय On रहे। इस High Power Configuration वाले Computer System को सामान्‍यत: Web Host कहा जाता है।

हर High Configuration वाला Computer Web Host होता है, ऐसा समझना गलत है। आप अपने स्वयं के Computer को भी Web Host की तरह Use कर सकते हैं और आगे आने वाले Contents में हम ऐसा करेंगे भी। लेकिन क्योंकि एक Web Host को लाखों लोगों की Requests को समान समय पर पूरा करने की जरूरत हो सकती है, इसलिए Web Host Computers का किसी भी अन्‍य Computer System की तुलना में ज्‍यादा Powerful होना जरूरी होता है। 

फिर से ध्‍यान दें कि एक High Power Configuration वाला Computer System ठीक उसी तरह से आ सकने वाली लाखों Requests को अकेले Handle नहीं कर सकता, जिस तरह से एक User का Device बिना Client Software के Web Surfing नहीं कर सकता। यानी इस High Power Compurgation वाले Computer System को भी एक Software की जरूरत होती है, जो आने वाली Requests को Handle करता है। ये High Power Configuration वाला Computer System तो केवल उन Requests को पूरा करने की गति को बढा देता है, ताकि कम से कम समय में ज्‍यादा से ज्‍यादा Users की Requests को पूरा किया जा सके। इस Special Software को Web Server Software कहते हैं।

Web Server Software का हमेंशा किसी High Configuration वाले Computer System पर ही Install किया जा सकता है, ऐसा नहीं है बल्कि हम किसी भी सामान्‍य से Computer System पर भी इनWeb Server Softwares को Install कर सकते हैं और जि जिस Computer System पर किसी Web Server Software को Install करते हैं, उसी Computer को Web Server कहा जा सकता है, फिर भले ही वह Computer सामान्‍य सा Pentium1 Processor वाला Computer ही क्यों न हो।

Web Server Software ही वह Software होता है, जो User द्वारा आने वाली Request को Accept करता है और User को उसका वांछित परिणाम Web Page के रूप में फिर से Serve करता है या फिर से भेजता है, जिसे User का Web Browser Receive करके User के सामने Render करता है। 

इस तरह से अब यदि हम सारांश के रूप में समझें, तो User + User Device + Web Browser काCombination Web Client को Represent करता है, जबकि एकWeb Developer के लिए Coding के लिहाज से केवल Web Browser महत्वपूर्ण होता है।

जबकि Host Computer System + Web Server + Web Developer + Web Site Ownerका Combination Web Server कहलाता है, लेकिन एक Web Developer के लिए Coding के लिहाज से केवल Web Server को महत्वपूर्ण होता है, हालांकि हमें Web Browser की तुलना में Web Server के साथ बहुत कम काम करना होता है। 

वर्तमान समय में मूल रूप से IIS व Apache नाम के दो Web Servers सबसे ज्‍यादा उपयोग में लिए जाते हैं।

IIS, Windows Operating System के लिए Microsoft Company द्वारा बनाया गया Web Server है, इसलिए इस पर Microsoft Technology की Programming Languages जैसे कि ASP य ASP.NET में बनाए गए Web Applications ज्‍यादा आसानी व सुविधापुर्ण तरीके से Run होते हैं।

जबकि Apache, Linux के लिए Develop किया गया Web Server है, जो Server Side Scripting Language के रूप में Perl, PHP आदि को ज्‍यादा बेहतर तरीके से Access करता है।

Server Side की Scripting Language के रूप में सामान्‍यत: ASP, PHP, JSP आदि का प्रयोग किया जाता है, जबकि Website से संबंधित Data को जिस Software में Store किया जाता है, उसेDatabase Software कहा जाता है, जो कि सामान्‍यत: MSSQL, MySql आदि होता है।

Client Side से आने वाले Data को किस प्रकार से Process करना है, इस बात का निर्णय Server Side Scripting Language लेता है और Data को Process करने के बाद उसे जहां Store किया जाता है, वह DBMS Software होता है लेकिन Scripting Language द्वारा आने वाले Data को DBMS Software में Store व Manage कैसे करना है, इस बात का निर्णय पूरी तरह से DBMS Software लेता है।

चूंकि Internet पूरी तरह से Client-Server Architecture Technology पर आधारित है, जिसके हमेंशा दो और थोडा और गहराई में जाने पर तीन हिस्से होते हैं, जिन्हें 2-Tier व 3-tier Architecture कहा जाता है।

2-Tier Architecture में मूल रूप से Client व Server होते हैं, जिनके बारे में आप उपरोक्त Discussion द्वारा अच्छी तरह से समझ गए होंगे। जबकि 3-Tier Architecture में Client व Server के अलावा एकBusiness Tier य Logic Tier भी होता है, जो कि विभिन्न प्रकार के Business Logics को Handle करता है। सामान्‍यत: ये तीसरा Tier, DBMS Software का हिस्सा होता है और Client Tier व Server Tier के बीच में अपना Role Play करता है।

चलिए, अब हम उपरोक्त Discussion को सारांश के रूप में एकबार Revise करते हुए समझते हैं कि क्‍या और कैसे होता है\
  • सबसे पहले User किसी Web Site का Address Web Browser के Address Bar में Place करके Enter Key Press करता है अथवा किसी Web Site के HTML Page पर दिखाई देने वाले Link पर Click करता है।
  • Web Browser User द्वारा Specified URL को Web Server पर भेजता है और उस Resource के लिए Web Server से Request करता है।
  • Web Server, Web Browser से आने वाले Request को Identify करता है और देखता है कि वह Resource कोई Static Web Page है य Dynamic Web Page है।
  • यदि Requested Resource Static Web Page होता है, तो Web Server उस Resource को Specified URL के अनुसार अपने Web Host पर Search करता है और Resource मिल जाने की स्थिति में वह Resource फिर से Web Browser को भेजते हुए Request को पूरा करता है।
जबकि Resource के Host पर Available न होने की स्थिति में एक Error Return करता है, जो इस बात को Specify करता है कि Specified Resource Host पर Available नहीं है।
  • यदि Requested Resource Dynamic Web Page होता है, तो Web Server उस Resource को Specified URL के अनुसार अपनी Scripting Language पर Parsing के लिए भेजता है।
यदि Windows का Web Host हो, तो Scripting Language के रूप में सामान्‍यत: ASP य ASP.NET Scripting Language आने वाली Request को Process करता है जबकि यदि Linux का Web Host हो, तो PHP, Perl जैसी Scripting Languages आने वाली Request की Processing करते हैं।
यदि Data को Store या Access करने के लिए Server Side में किसी DBMS Software को Use किया गया हो, तो Scripting Languages अपने Associated DBMS Software पर Data को Store य Access करने के लिए DBMS Software से Request करता है।
DBMS Software, Scripting Language द्वारा आने वाली Request को Fulfill करने के लिए अपने Business Tier में Specify किए गए Business Rules व IO Rules को Data पर Apply करता है और Business Rules व IO Rules के पूरी तरह से Satisfy होने की स्थिति में Scripting Language को Requested Data Return करता है अथवा आने वाले Processed Data को DBMS Software में Store करके Scripting Language को इस बात की जानकारी देता है कि उसने अपना काम पूरा कर दिया है।
जबकि यदि DBMS Software पर आने वाली Request से DBMS Software के Business Tier पर Specified किसी तरह का Business य IO Rules का Violation मिलता है, तो DBMS Software, Scripting Language को एकAppropriate Error Message Return करता है।
दोनों ही स्थितियों में Scripting Language को DBMS Software से कोई Output मिलता है, जिसके आधार पर वह अपना Resultant Web Page Reformat करता है और Web Server को इस बात का Instruction देता है कि वह Web Browser द्वारा Requested Resource को Serve कर सकता है।
  • Scripting Language से Formatted Resultant Web Page तैयार हो जाने की जानकारी मिल जाने के बाद Web Server उस Resultant Web Page को फिर से Web Browser को Return कर देता है।
  • Web Browser, Web Server से आने वाले Resultant Web Page को फिर से Render कर देता है। सबसे पहले Web Browser आने वाले Web Page के HTML Codes के अनुसार Web Page को Structure करता है। फिर उस पर विभिन्न Inline व Outline CSS Rules Apply करता है और अन्त में JavaScript के Behaviors को Apply करके User के सामने Interactive Web Page Render कर देता है।

इस प्रकार से User द्वारा एक Request पूरी होने में उपरोक्त सभी Steps Follow होते हैं। चूंकि Static Web Page की Request पूरी होने में Dynamic Web Page की तुलना में कम Steps Follow होते हैं, इसलिए Static Site की Speed, Dynamic Site की Speed से हमेंशा कम होती है।


Web Development Sequence and Used Technologies

उपरोक्त Discussion से एकऔर बात सामने आती है कि एक Dynamic Web Site कम से कम 6 Techniques के Mixture से बनती है और यदि हम थोडा और गहराई में जाऐं, और Web Site को थोडा सा भी Dynamic व Interactive बनाना चाहें, तो और भी बहुत सारी Technologies अपना Role Play करती हैं। चलिए, थोडा सा इस विषय में भी जान लेते हैं।

जब किसी Web Site को बनाना होता है, तो सबसे पहले उस Web Site के Look को तय किया जाता है कि आिखर वह Web Site User को बनने के बाद अन्त में कैसी दिखाई देगी। चूंकि एक Web Site को अच्छा दिखाने के लिए कई तरह के Colors, Graphics व Fonts आदि Use किए जाते हैं, इसलिए सबसे पहले जरूरत पडती है एक Graphics Designer की।

Graphics Designer सबसे पहले Businessman की जरूरतों को समझते हुए किसी भी Web Site का एक Drawing Create करता है। ये Drawing Create करने के लिए वह विभिन्न प्रकार के Graphics Tools जैसे कि Photoshop, CorelDraw, Illustrator, Fireworks, GIMP आदि Use करता है और Web Site का Logo व विभिन्न प्रकार के अन्‍य Graphics के साथ Web Site का Layout भी Design करता है और Web Site Owner यानी उस Businessman को दिखाता है, जो Web Site बनवाना चाहता है।

जब Site Owner अपनी Web Site के Design, Layout व Graphics से पूरी तरह से सन्तुष्‍ट हो जाता है, तब वह Graphics Designer अपने Graphics को Web Site के Front End Designer को देता है।

यदि Graphics Designer को अपने काम का अच्छा ज्ञान हो, तो सामान्‍यत: वह Front Designer को अपने Graphics के साथ उस Graphics के Slice Create करके भी देता है, जिससे Front Designer को इस बात का पता चल जाता है कि किस Slice को कहां Use करना है।

Graphics Designer का काम यहां समाप्त हो जाता है। अब शुरू होता है Front End Designer का काम। Front End Designer Web Site के Layout के Drawing के आधार पर Web Site का HTML Coding को Use करते हुए Web Site का Structure Create करता है और इस Structure के साथ CSS को Use करते हुए Web Site की Styling करता है।

Web Site बिल्कुल वैसी ही दिखाई दे, जैसा Graphics Designer ने बनाया है, इसके लिए Front End Designer, Graphics Designer द्वारा दिए गए Graphics Slices को अपने CSS में Use करता है और बिल्कुल वही Look HTML + CSS द्वारा Generate करता है, जैसा Graphics Designer ने बनाया है।

कई बार Web Sites में Businessman की इच्छानुसार Animation जैसी सुविधा प्राप्त करनी होती है। इस स्थिति सामान्‍यत: Flash Designer की जरूरत पडती है, क्योंकि सामान्‍यत: Animation का काम Flash Designers ही करते हैं। वैसे अब नई Technology के अनुसार HTML5 में JavaScript API द्वारा SVG Technology का प्रयोग करके भी Graphics व Animation Develop किया जाने लगा है।

यदि Front End Designer HTML व CSS के अलावा JavaScript भी जानता हो, तो वह Web Site के Front End को और बेहतर व Interactive बनाने के लिए JavaScript के Codes को Use करता है। सामान्‍यत: JavaScript के स्थान पर jQuery, Dojo, YUI जैसे किसी Framework को भी Use कर सकता है, जो कि Front End को आसानी से Interactive बनाने के लिए Develop किए गए Frameworks हैं।

जब बात JavaScript की आती है, तब Front End में कई और Technologies जुड जाती हैं। वर्तमान समय में ऐसी Web Sites बहुत ज्‍यादा बनाई जाने लगी हैं, जिसमें विभिन्न प्रकार की जरूरतों को पूरा करने के लिए Web Site बार&बार Web Browser में Reload नहीं होता बल्कि Web Browser समान Web Page में ही अलग&अलग Contents को Display करता रहता है। इस जरूरत को पूरा करने के लिए सामान्‍यत: AJAX तकनीक का प्रयोग किया जाता है।

AJAX एक ऐसी तकनीक है, जो कि JavaScript व XML का मिश्रण है, जो कि User की जानकारी के बिना Current Web Page में ही Server से नए Content की Request करता है और आने वाले नए Content को बिना Web Page फिर से Web Browser में Reload किए हुए User के सामने Render कर देता है।

इसलिए जब हम AJAX (Asynchronous JavaScript and XML) की बात करते हैं, तब हमें XML को भी थोडा बहुत समझना जरूरी हो जाता है, अन्‍यथा हम AJAX Technology को बेहतर तरीके से Use नहीं कर सकते जो कि Current Market की Requirement है।

Front End को तेजी से Develop करना किसी भी Web Development Company की मूल जरूरत होता है ताकि जल्दी से जल्दी वह अपने Client से अपनी Develop की गई Web Site का पैसा वसूल कर सके और Fast Front End Development के लिए जरूरी है कि Front End Developer JavaScript द्वारा नहीं बल्कि किसी JavaScript Framework को Use करके Front End को Interactive बनाए।

सामान्‍यत: यदि बहुत ही ज्‍यादा जरूरत न हो, तो किसी भी Company में अब Directly JavaScript के Codes Create नहीं किए जाते, बल्कि JavaScript के स्थान पर इसके Frameworks जैसे कि jQuery, MooTools, Dojo, YUI, Prototypes आदि को Use किया जाता है, क्योंकि ये Frameworks जिस काम को 1 Line के Codes से पूरा कर देते हैं, उन्हीं कामों को यदि Pure JavaScript द्वारा पूरा किया जाए तो कम से कम 10 से 20 Lines का Code लिखना पडेगा साथ ही अलग&अलग Web Browsers के लिए अलग&अलग JavaScript Codes लिखने की जरूरत भी पड सकती है, जबकि ये Frameworks Cross Browser Format में Develop किए गए हैं। यानी आपको अलग&अलग Web Browsers के लिए अलग&अलग Frameworks य Codes लिखने की जरूरत नहीं रहती है।

जब हम JavaScript Frameworks की बात करते हैं, तब हमें JavaScript के Object Oriented Concept पर ध्‍यान देना पडता है और JavaScript के Object Oriented Concept में विभिन्न प्रकार के Data को जिस Format में Use व Access किया जाता है, वह एकSpecial Format है, जिसे JSON(JavaScript Object Notation) कहा जाता है और एक Front End Designer को इसे भी समझने की जरूरत पडती है।

JavaScript का प्रयोग केवल Web Page को Interactive बनाने के लिए ही नहीं किया जाता, बल्कि इसका विकास तो मूल रूप से Client Side Validation के लिए किया गया था और आज भी JavaScript इस काम को बखूबी करता है। लेकिन जब Client Side Validation की बात आती है, तब बात आती है HTML Forms की और HTML Forms यानी Data User Input करेगा और चूंकि Data User Input करेगा, तो हम User द्वारा Input किए जाने वाले Data पर कभी विश्‍वास नहीं कर सकते।

इसलिए हमें Client Side में ही ये तय करना पडता है कि User, Form के किसी Field में ऐसी कोई Information न Fill करे, जो कि गलत हो य हमारी Web Site के लिए हानिकारक हो सकती हो। फलस्वरूप हमें Client Side के Form के Fields में Entered Text को Validation के लिए Check करने की जरूरत पडती है और Client Side में ये काम Regular Expressions द्वारा किया जाता है।

ये तो हुई Client Side की बात, अब चलते हैं Server Side में। जब हम Server Side की बात करते हैं तब XML, JSON व Regular Expression फिर से काम आते हैं, लेकिन Client Side की तुलना में Server Side में इनकी ज्‍यादा जरूरत पडती है। क्योंकि Client Side में जो Data, Server से भेजा जाता है, ज्‍यादातर परिस्थितियों में वह Data XML य JSON Format में ही भेजा जाता है, ताकि Client Side में JavaScript उस Data को User के Web Browser में जरूरत के अनुसार Render कर सके। यानी हम XML व JSON को छोड नहीं सकते। हमें इनके बारे में भी जरूरत के अनुसार थोडा बहुत तो जानना ही होगा।

जब हम Server Side Scripting की बात करते हैं, तब हमें थोडा&बहुत Apache य IIS Web Servers के बारे में भी जानने की जरूरत पडती है, ताकि हम Special Types की जरूरतों को Web Server के माध्‍यम  से भी पूरा कर सकें। सामान्‍यत: Web Server के साथ भी हमें Regular Expressions को Use करने की जरूरत पडती है।

Server Side Scripting के विषय में बात करें, तो बिना DBMS Software के कोई भी Dynamic Web Site नहीं बनाई जा सकती। इसलिए हमें किसी न किसी DBMS Software को भी ठीक से समझना जरूरी हो जाता है।

लगभग सभी DBMS Softwares 80: Common होते हैं, लेकिन फिर भी यदि हम Microsoft Technology पर आधारित Web Site बना रहे हैं, तो हमें IIS, ASP य ASP.NET तथा MSSQL Server य MS-Access के बारे में जानने की जरूरत पडती है क्योंकि Microsoft Technology में इन्हीं Server Side Scripting Languages, Web Servers व DBMS Softwares को Use व Access करना होता है।

यदि हम ASP.NET की बात करें तो हमें Server Side Language के रूप में VB.NET य C#.NET को Use करना पडता है, क्योंकि ASP.NET में Scripting Language के रूप में इन्हीं में से किसी एक या दोनों को ज्‍यादा Use किया जाता है। हालांकि ये दोनों Programming Languages Windows Operating System के Desktop Applications बनाने के लिए भी उपयोगी होते हैं व वर्तमान समय में बहुत Use किए जाते हैं।

जबकि यदि हम Linux Web Host Use करते हैं, तो हमें Scripting Language के रूप में PHP, Perlजैसी Languages को Use करना पडता है जबकि DBMS Software के रूप में MySql को ज्‍यादा Use किया जाता है साथ ही हमें Apache Web Server को भी थोडा बहुत समझना जरूरी हो जाता है।

जब इतनी सारी Technologies की जरूरत एक Web Site बनाने के लिए पडती है, तो इतनी सारी Technologies को ठीक से Manage व Maintain करने के लिए भी एकSpecial Software की जरूरत पडती है, जिसे IDE (Integrated Development Environment) कहते हैं।

IDE के रूप में आपको MS-Visual Studio, Eclipse, NetBeans, DreamWeaver में से एकय एकसे ज्‍यादा को सीखने की जरूरत पड सकती है, क्योंकि ज्‍यादातर Companies में इन्हीं में से एक या एक से अिधिक IDEs में काम किया जाता है, ताकि Development को Fast व Manageable तरीके से किया जा सके।

तो क्‍या आप अन्दाजा लगा पाए कि कितनी Technologies की जरूरत पड सकती है एक Web Site बनाने के लिए, जबकि सभी प्रकार की जरूरतों को पूरा करने के लिए इनके अलावा भी कई अन्‍य Technologies हैं, जिन्हें सीखने की जरूरत पड सकती है। चलिए, देखते हैं:
  • Photoshop (Illustrator, Fireworks, CorelDraw, GIMP)
  • Adobe Flash
  • HTML (Hyper Text Markup Language)
  • CSS (Cascading Style Sheets)
  • JavaScript
  • JSON (JavaScript Object Notation)
  • XML (eXtensible Markup Language)
  • AJAX (Asynchronous JavaScript and XML)
  • Regular Expressions
  • Apache or IIS Web Server
  • PHP/Perl or ASP.NET (VB or C# or Both)
  • MySql or MSSQL Server
  • MS-Visual Studio, Eclipse, NetBeans, DreamWeaver

क्‍या आपको लगता है कि ये सभी Technologies आप स्वयं अकेले सीखें और फिर अपने स्तर पर स्वयं पूरी Web Site बनाऐं। यदि आप ऐसा सोंचते हैं, तो पहली बात तो ये है कि इतनी Technologies को अच्छी तरह से सीखने के लिए आपके लिए 5 साल भी कम पडेंगे और दूसरी बात ये है कि जब तक आप पहली Technology से आखिरी Technology तक सीखेंगे, तब तक पांचवी Technology तक इतने नए Versions आ जाऐंगे, कि आपको फिर से पहली Technology को सीखना पडेगा और ये प्रक्रिया Recursive तरीके से पूरी जिन्दगी चल सकती है। यानी आप कभी भी सभी Technologies को स्वयं अकेले Mastering Level तक नहीं सीख सकते।

इसीलिए किसी भी Company में कई तरह के Departments होते हैं और हर Department में अपनी तरह का Development होता है। उदाहरण के लिए Graphics Designer का अपना काम होता है और उसे Front End य Back End Coding से कोई मतलब नहीं होता।

Front End Department को Back End Department के Developers व Graphics Designer से कोई मतलब नहीं होता।

इसी तरह से Back End Designer को Front End व Graphics Designer से कोई मतलब नहीं होता।

यहां तक कि Back End Script Writer को Back End Database Designer व Analyst से भी कोई मतलब नहीं होता।

यानी सरल तरीके से कहें, तो उपरोक्त सभी विषयों को मूल रूप से चार भागों में बांटा जा सकता है और चारों भागों के लोग केवल अपने काम को ही Best तरीके से पूरा करते हैं, कर सकते हैं:
  • Graphics Designer
Graphics Designer का पूरा ध्‍यान Graphics Develop करने पर होता है और एकGraphics Designer को Photoshop, Illustrator, Fireworks, CorelDraw, GIMP, Flash आदि Technologies को ही Best तरीके से सीखना होता है।
  • Front End Designer
Front End Designer का पूरा ध्‍यान Web Site का Front यानी Layout बनाने पर होता है और एकFront End Designer को HTML, CSS, JavaScript, JSON, XML, AJAX, Regular Expressions आदि Front End Designing से संबंधित Technologies को ही Best तरीके से सीखना होता है।
  • Back End Designer
Back End Designer का पूरा ध्‍यान Back End Technologies पर होता है और एकBack End Designer को JSON, XML, AJAX, Regular Expressions, Apache or IIS Web Server, PHP/Perl or ASP.NET (VB or C# or Both) को ही Best तरीके से सीखना होता है।

यहां भी यदि Microsoft Technology को महत्व दिया जा रहा है, तो PHP व Perl जैसी Languages को सीखना जरूरी नहीं है, जबकि Linux Technology को महत्व देने की स्थिति में ASP.NET, VB, C# को सीखना जरूरी नहीं है।
  • Database Designer
Database Designer का मुख्‍य काम Web Site Owner की जरूरत के अनुसार विभिन्न प्रकार के Data को Best तरीके से Database में Store करने, Access करने की सुविधा देने व Database को Maintain करने व Database की Performance को बनाए रखने से संबंधित होता है इसलिए एक Database Designer को केवल इन्हीं जरूरतों को पूरा करने से संबंधित Technologies को अच्छी तरह से सीखना होता है।

यदि एक Database Designer Windows Technology को Handle करता है, तो उसे केवल MS-Window, MSSQL Server या MS-Access के बारे में Best तरीके से जानना होता है जबकि Linux Technology को Use करने की स्थिति में उसे Linux तथा MySql जैसे Database Software को अच्छी तरह से समझना होता है।

अब सवाल ये है कि क्‍या हर Company में ये चारों हिस्से होते हैं और क्‍या हर Company में इतने सारे प्रकार के Developers होने जरूरी होते हैं\ तो जवाब है, हां। लगभग हर Company में इतने प्रकार के Developers जरूर होते हैं।

तो अब दूसरा सवाल ये है कि क्‍या हम बिना इन विभिन्न प्रकार के Developers को Hire किए हुए छोटे स्तर पर अपना Web Development का काम शुरू नहीं कर सकते\ तो इस सवाल का जवाब है हां और दूसरा जवाब है नहीं।

हमें इन सभी प्रकार के Developers की जरूरत जरूर होती है, तभी कोई Web Site ठीक से बन सकती है और लम्बे समय तक Maintain की जा सकती है, लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि ये सभी Developers Physically हमारे पास हों। मतलब \

मतलब ये है कि इतने प्रकार के High Profile Developers को Hire करना काफी महंगा काम हो सकता है, जबकि लगभग 80: Web Sites इतनी Typical नहीं होतीं, कि उनके लिए अलग से Database Designers व Back End Developers की जरूरत हो और इन लोगों के Replacement के रूप में हमें दूसरा Option मिलता है Frameworks का।

Frameworks ऐसे Software Packages होते हैं, जो बडी ही आसानी से विभिन्न प्रकार की Back End जरूरतों को Internally पूरा कर देते हैं, जिनको Develop करने के लिए हमें अलग से Designers Hire करने की जरूरत नहीं पडती। यानी एक Front End Designer बडी ही आसानी से इन Frameworks का प्रयोग करके Backend Requirements को Fulfill कर सकता है।

Frameworks दो प्रकार के होते हैं। पहला Content Management System कहलाता है जबकि दूसरा Application Management System कहलाता है।

Content Management System के रूप में WordPress, Drupal, Joomla को ज्‍यादा उपयोग में लिया जाता है, जबकि Application Management Framework के रूप में Symphony, CodeIgnitor, MODx, आदि को Use किया जाता है।

Server Side Back End Developer Requirements को तो एक Front End Designer विभिन्न प्रकार के Frameworks का प्रयोग करके अपनी जरूरत को पूरा कर सकता है, लेकिन Front End Designer के लिए तो फिर भी कई Technologies को सीखना जरूरी होगा। यदि आप ऐसा सोंच रहे हैं, तो आप गलत सोंच रहे हैं।

जिस तरह से Server Side जरूरतों को पूरा करने के लिए Frameworks हैं, उसी तरह से Client Side जरूरतों को पूरा करने के लिए भी Frameworks हैं। Client Side में मूल रूप से HTML व CSS ऐसी Technologies हैं, जो सभी Front End Designers को सीखनी ही चाहिए, अन्‍यथा वे Front End को ठीक से Control नहीं कर सकते। लेकिन जब बात JavaScript की आती है, तब JavaScript के कई Frameworks हैं, जिनका प्रयोग JavaScript के स्थान पर किया जा सकता है।

jQuery, MooTools, Dojo, YUI, Prototypes आदि विभिन्न प्रकार के JavaScript Frameworks के उदाहरण हैं, जिनमें से jQuery मुझे Personally बहुत पसन्द है क्योंकि इसे सीखना व Use करना बाकी सभी अन्‍य Frameworks की तुलना में आसान है। यदि आप CSS जानते हैं, तो समझ लीजिए कि आप बहुत ही आसानी से jQuery को उपयोग में ले सकते हैं और बहुत ज्‍यादा तेजी से अपनी Web Site की Interactivity व Validation Related जरूरतों को पूरा कर सकते हैं।

जब आप इन में से किसी Framework को Use करते हैं, तब भी यदि आप अन्‍य Technologies को ठीक से समझने के लिए सीखते हैं, तो अच्छा है लेकिन जरूरी नहीं है। उदाहरण के लिए यदि आप केवल jQuery को ठीक से समझ लेते हैं, तो आप आसानी से AJAX संबंधित Dynamic जरूरतों को 4 – 5 Line के Code द्वारा पूरा कर सकते हैं। आपको इसके लिए अलग से JavaScript व XML सीखने की जरूरत नहीं है।

XML, JSON, Regular Expression आदि को jQuery य अन्‍य Frameworks स्वयं Internally Handle करता है, इसलिए इन Technologies को ज्‍यादा गहराई से समझने की जरूरत नहीं रह जाती। Pure JavaScript की जरूरत लगभग समाप्त ही हो जाती है, जबकि इन Frameworks का प्रयोग करके आप Flash जैसा Animation भी प्राप्त कर सकते हैं।

जहां तक Graphics Designer की बात है, तो Internet पर हजारों ऐसी Web Sites हैं, जो Free Web Site Templates Provide करती हैं। किसी भी अच्छे से Template को Download करके बडी ही आसानी से अपनी जरूरत के अनुसार उसे Modify किया जा सकता है। इसलिए यदि Graphics Designer के नजरिए से देखें, तो हमें अलग से किसी Graphics Designer की भी जरूरत Compulsory रूप से नहीं है।

यानी यदि अब हम ये जानना चाहें कि हमें कुल कितनी तकनीकों को एक Web Site बनाने के लिए जरूरी रूप से सीखना होगा, तो ये List अब काफी छोटी हो सकती है और ये List निम्नानुसार है:
  • HTML (Hyper Text Markup Language)
  • CSS (Cascading Style Sheets)
  • JavaScript Frameworks like jQuery, MooTools, Dojo, YUI, Prototypes, etc…
  • Server Side Framework like Symphony, WordPress, MODx, CodeIgnitor, etc…
  • PHP/Perl or ASP.NET (VB or C# or Both)
  • MS-Visual Studio, Eclipse, NetBeans, DreamWeaver IDE

उपरोक्त List को देखें तो ये List अब पहले की तुलना में आधी हो चुकी है। परिणामस्वरूप विभिन्न प्रकार के Professional Developers की जरूरत भी लगभग समाप्त हो चुकी है।

हालांकि Frameworks का प्रयोग करके हम बडी ही आसानी से कम समय में ज्‍यादा Development कर सकते हैं, लेकिन फिर भी JavaScript व PHP को जरूर अच्छी तरह से सीखना चाहिए। क्योंकि सभी Front Side Frameworks पूरी तरह से JavaScript पर आधारित होते हैं जबकि Linux Based लगभग ज्‍यादातर Back End Frameworks PHP Based होते हैं।

Window Based Web Servers के लिए हमें VB.Net य C#.Net को सीखना जरूरी होता है, क्योंकि Windows Based Frameworks हालांकि बहुत कम हैं, लेकिन जो भी हैं वे पूरी तरह से इन्हीं दोनों Languages पर आधारित हैं।

JavaScript को ठीक से समझा तो किसी भी Framework को बडी ही आसानी से उपयोग में लेना सीख सकते हैं जबकि PHP को समझ कर बडी ही आसानी से किसी भी Server Side Framework को तेज गति से सीख सकते हैं।

इन दोनों Languages को अच्छी तरह से सीखना इसलिए भी जरूरी है क्योंकि अलग&अलग Companies में अलग&अलग तरह की जरूरतों को पूरा करने के लिए Frameworks Use करने पडते हैं, जिनका Decision, Company Owner Project की जरूरत के आधार पर लेता है। इस स्थिति में किसी एकय दो Framework को सीख कर Company में Long Term Job की उम्मीद नहीं की जा सकती।

लेकिन यदि सभी Frameworks के आधार को सीख लिया जाए, तो Long Term Job की Guarantee होती है, क्योंकि उस स्थिति में हम बडी ही आसानी और बहुत ही तेज गति से उन Root Languages पर आधारित किसी भी Framework को सीख सकते हैं।

तो अब यदि हम मूल रूप से ये जानना चाहें कि किन Technologies को Compulsory रूप से सीखना जरूरी है, तो वे Technologies निम्नानुसार होंगी:
  • HTML (Hyper Text Markup Language)
  • CSS (Cascading Style Sheets)
  • JavaScript
  • PHP or ASP.NET

इस List में हमने किसी IDE को Specify नहीं किया है क्योंकि जब हम किसी भी Language में Coding करना सीखते हैं, तब इनमें से किसी भी IDE में काम करना शुरू कर सकते हैं और ये IDE Automatically धीरे&धीरे समझ में आ जाते हैं। यानी इन्हें अलग से सीखने की जरूरत नहीं होती, इसलिए हमने इन्हें हमारी List से हटा दिया है।

इस तरह से आपको मूलत: उपरोक्त 4 Technologies को ठीक से सीखना होता है, ताकि आप एक Web Developer बन सकें और जैसाकि आप जानते हैं कि हम इस पुस्तक में PHP सीखने वाले हैं क्योंकि इस पुस्तक को आपने PHP सीखने के लिए ही खरीदा है। हालांकि PHP पूरी तरह से HTML और मूल रूप से HTML के Forms से संबंधित है। इसलिए इस पुस्तक को ठीक से समझने के लिए आपको HTML का और विशेष रूप से HTML के Forms Part का अच्छा ज्ञान होना जरूरी है।

चूंकि JavaScript AJAX तकनीक का प्रयोग करते हुए PHP Pages की भी Request कर सकता है, इसलिए यदि आपको JavaScript का भी अच्छा ज्ञान हो, तो PHP को JavaScript की AJAX तकनीक के साथ Use करते हुए आप और भी बेहतर व ज्‍यादा Interactive Web Site बना सकते हैं, लेकिन JavaScript का ज्ञान होना Compulsory नहीं है।


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